BA Semester-1 Raksha Evam Strategic Study - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :250
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2635
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-1 रक्षा एवं सैन्य अध्ययन

प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |

सम्बन्धित लघु प्रश्न 
"बीसवीं शताब्दी के सैन्य विचारकों में हेनरी किसींजर का विशिष्ट स्थान है।' इस कथन की समीक्षा कीजिए।

उत्तर-

(i) आन्द्रे व्यूफ्रे के विचार इनके अनुसार शस्त्रों से घिरी दुनिया में आज प्रश्न राष्ट्र की सुरक्षा अथवा हार या जीत का नहीं है बल्कि सम्पूर्ण मानव समुदाय के अस्तित्व का है। शस्त्र जगत में हुई क्रांति ने अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति, मानव व्यवहार तथा शक्तिसंतुलन को जंबरदस्त ढंग से प्रभावित किया है। महाशक्तियों द्वारा निर्मित परमाणु बम हाइड्रोजन एवं न्यूट्रान बम, अन्तर्महाद्वीपीय प्राक्षेपिक मिसाइल (ICBM) ने न केवल अन्य परमाणुरहित राष्ट्रों को बल्कि बड़ी शक्तियों को भी एक-दूसरे से भयाक्रांत कर रखा है। एक महाशक्ति अपनी सुरक्षा की नजर से दूसरे की तुलना में अपने को कदापि पीछे नहीं रहने देना चाहती है। वह दूसरे को आक्रमण के लाभ से भी वंचित कर देना चाहती है। ब्योफ्रे की स्पष्ट राय है कि भयादोहन का प्रमुख उद्देश्य यह होता है कि शत्रु राष्ट्र को ऐसी चुनौती में उतरने से रोके जिसमें वह शस्त्र बल का प्रयोग करने का निर्णय लेना चाहता हो। उसे अनिश्चय की स्थिति में रखना ही श्रेष्ठकर है ताकि मनोवैज्ञानिक दबाव भी बना रहे और दुश्मन यह निर्णय ही न ले सके कि उसे क्या करना चाहिए?

(i) वाई. हरकाबी के विचार परमाणु युग में स्थापित शान्ति युद्ध की तैयारी की शान्ति है। यह एक व्यापक क्षेत्र में अविश्वसनीयता और भय से उपजी शक्ति है। आणविक भयादोहन ने ही विश्व में शान्ति स्थापित कर रखी है। पूर्ण विध्वंसक शस्त्रों का अस्तित्व तथा परमाणु क्षमता युक्त देशों की अतिमारक क्षमता मानवता की अन्य सभी आवश्यकताओं से पहले उत्तरजीविता की आवश्यकता पर ध्यान केन्द्रित करने को विवश करती है।

(ii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart) के विचार लिडिल हार्ट ने द्वितीय विश्वयुद्ध के भयानक नरसंहार के पश्चात् अपनी पुस्तक 'प्रतिरोध तथा प्रतिरक्षा' (Deterrent and Defence) | के द्वारा 1960 में दुनिया के समक्ष शान्ति और सुरक्षा से सम्बन्धित आठ सिद्धान्तों (शांति के आठ स्तम्भ) को अपनाने की बात कही, जो इस प्रकार है

(1) युद्ध का अध्ययन कर इसके इतिहास से शिक्षा ग्रहण करें

If you want peace understand War.

(2) यथासम्भव शक्ति प्राप्त करें।

Keep strong if possible.

(3) शान्तिपूर्ण असीम धैर्य बनाये रखें।

Keep cool, have unalimited patience.

(4) विपक्षी को संकट में न डालकर सदैव उसकी प्रतिष्ठा बचाये रखने में सहयोग दें। Never corner an opponent and always assist him to save his face.

(5) अपने आपको विपक्षी की स्थिति में रखकर परिस्थितियों को देखें

Put yourself in Enemy's shoes, so as to see things through his eyes.

(6) हम जो कुछ कर रहे हैं, वहीं सही है, की भावना से दूर रहना।

Avoid self right cousness like the Devil nothing is to self binding.

(7) विजय के घातक भ्रम से अपने को बचाना।

Cure yourself of the idea of victory a fatal delusion commonly held.

(8) युद्ध सीमित नहीं हो सकते, इस भ्रम से बचना।

Cure yourself of the idea that war cannot be limited.

(iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kisinger) के विचार इन्होंने अपनी पुस्तक 'Nuclear Weapons and Foreign Policy' में शस्त्र क्रांति और असीमित शक्ति के विस्तार को देखते हुए अवरोध की नीति का पुरजोर समर्थन किया है साथ ही परमाणु हथियारों से 'पजे संकट के प्रति गम्भीर चिन्ता भी व्यक्त की है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि वर्तमान परिस्थितियों में विश्व के समक्ष शान्ति का कोई विकल्प नहीं है।" आज के विश्व में युद्ध कोई उत्तम नीति नहीं है और न ही वह राष्ट्रीय हित निष्पादित करने का लाभदायक माध्यम ही रह गया है। अमरीका की असीमित सैन्य शक्ति एवं विनाशक क्षमता के कारण विश्व में जो दुविधाग्रस्त स्थिति उत्पन्न हुई उस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए किसिंजर ने कहा है कि, "राष्ट्रीय शक्ति का संचय इस मात्रा में पहले कभी नहीं हुआ, किन्तु असीम शक्ति भी वांछित हितों की पूर्ति में अक्षम सिद्ध हो रही है। शक्ति के समुचित प्रयोग अथवा उसकी क्षमता का लाभ उठा सकने के अभाव में कूटनीति और अन्तर्राष्ट्रीय मनोबल दोनों ही कमजोर हो जायेंगे और वर्तमान विवाद पूर्ववत् बने रहेंगे। किसींजर का यह भी विचार है कि रूस एवं चीन के निर्णयों को केवल सर्वोपरि शक्ति से ही प्रभावित किया जा सकता है। परमाणु युग की ऊहापोह की राजनीति पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा है कि -

"अणु युग की दुविधाजनक स्थिति ने हमें कहाँ लाकर खड़ा कर दिया है। आदि आधुनिक शस्त्रों ने युद्ध की कल्पना को भयानक बना दिया है। लेकिन उसका जोखिम उठाने का अर्थ है सोवियत रूस को खाली चेक देना। इससे पहले हम कभी इतने शक्तिशाली नहीं थे। हमें आज यह.. समझना है कि शक्ति अगर लक्ष्यों से सम्बन्धित न हो तो वह हमारी इच्छा शक्ति और मनोबल को शिथिल कर देगी। हमें इन दोनों में सन्तुलन लाना होगा। आज रणनीतियों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती भी यही है कि हम अपनी शक्ति को निर्धारित नीति के लक्ष्यों के लिये किस तरह उपयोग करें। एक-दूसरे के प्रति भय और सन्देह ने सुरक्षा के नाम पर विश्व को एक ऐसे कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है जहाँ हर कदम पर खतरा है। अतः यह स्थिति हमें राष्ट्रीय सुरक्षा, सन्तुलन, सीमा विवाद और प्रभाव क्षेत्र आदि सभी प्रसंगों पर व्यापक दृष्टि से सोच-विचार के लिये विवश करती है।"

प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।

उत्तर-

द्वितीय विश्वयुद्ध के अन्तिम चरण में जापान के 'हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम के विस्फोट के बाद महायुद्ध समाप्त हुआ जिसमें दोनों शहरों के कुल मिलाकर एक लाख से भी अधिक लोग मारे गये। इस परमाणु हमले ने यह सिद्ध कर दिया कि परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका अब बहुत कम या क्षेत्रीय स्तर तक ही सीमित रह गयी है।

परमाणु युग से पूर्व युद्धों को सशस्त्र सेनाओं के बिना जीतना असम्भव था, किन्तु परमाणु युग में अपने क्षेत्र में बैठकर शत्रु के किसी भी क्षेत्र के क्षण भर में नष्ट किया जा सकता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय सिर्फ अमरीका के पास परमाणु शक्ति थी लेकिन आज दुनिया के सभी छोटे-बड़े राष्ट्र परमाणु शक्ति सम्पन्न होते ही जा रहे हैं।

परमाणु शक्ति ने सशस्त्र सेनाओं की भूमिका तो कम कर दी है किन्तु उसका महत्व कभी भी खत्म नहीं किया जा सकता। सीमा पर शत्रु की घुसपैठ, आतंकवाद का सामना क्षेत्रीय आतंकवाद, आदि समस्याओं से निपटने के लिए सशस्त्र सेनाओं की ही आवश्यकता पड़ती है।

सशस्त्र सेनायें राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के लिए अति आवश्यक हैं। आन्तरिक अशान्ति तथा आतंकवाद को रोकने के लिए परमाणु शक्ति नहीं बल्कि सशस्त्र बल की आवश्यकता सदैव रहती है।

परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र परमाणु शक्ति का उपयोग या तो विकास व शान्ति के क्षेत्र में कर सकते हैं या भयादोहन की स्थिति उत्पन्न करने के लिए क्योंकि, हिरोशिमा व नागासाकी की दशा देखने के बाद कोई भी राष्ट्र परमाणु हमले की पहल नहीं करेगा और अगर ऐसा हुआ तो सम्पूर्ण विश्व का विनाश पल भर में हो जायेगा, क्योंकि आज विश्व में इतने परमाणु शस्त्र मौजूद हैं कि अगर इनका प्रयोग किया जाये तो अपनी पृथ्वी की जैसी सैकड़ों पृथ्वी समाप्त की जा सकती हैं।

अणु शक्ति की इसी भयाहवता को देखकर कोई भी राष्ट्र परमाणु शस्त्रों के प्रयोग की सोच भी नहीं सकता, किन्तु विश्व की राजनैतिक व्यवस्था समय-समय पर युद्ध जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न कर देती हैं, जिससे बचाव के लिए सशस्त्र सेनाओं का प्रयोग करना ही पड़ता है। वर्तमान समय में आतंकवाद से विश्व के अधिकतर राष्ट्र पीड़ित हैं। युद्धों के अतिरिक्त आतंकवाद से सामना करने के लिए सशस्त्र सेनाओं की सहायता लेनी पड़ती है। समय-समय पर सीमा पार से भी घुसपैठ की घटनाओं को रोकने के लिये सशस्त्र सेनाओं की सहायता अति आवश्यक होती है। इन सब मूलभूत कारकों को अतिरिक्त प्रत्येक राष्ट्र को अपनी सीमा रेखा की सुरक्षा तथा आन्तरिक सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाये रखने के लिए सशस्त्र सेनाओं की आवश्यकता अवश्य पड़ती है, इसलिये यदि यह कहा जाये कि परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका कम हो गई है तो यह उचित न होगा।

सशस्त्र सेनायें सदैव कारगर रही है और सदैव ही इनकी आवश्यकता पड़ती रहेगी। इनकी भूमिका को कम नहीं किया जा सकता हैं।

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं का महत्व अभी समाप्त नहीं हुआ है तथा भावी युद्धों में भी इनकी भूमिका प्रमुख रहेगी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- स्त्रातेजी अथवा कूटयोजना (Strategy) का क्या अभिप्राय है? इसकी विभिन्न परिभाषाओं की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  2. प्रश्न- स्त्रातेजी का उद्देश्य क्या है? स्त्रातेजी के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये क्या उपाय किये जाते हैं?
  3. प्रश्न- स्त्रातेजी के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  4. प्रश्न- महान स्त्रातेजी पर एक लेख लिखिये तथा स्त्रातेजी एवं महान स्त्रातेजी में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  5. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक भूगोल से आप क्या समझते हैं? सैन्य दृष्टि से इसका अध्ययन क्यों आवश्यक है?
  6. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  7. प्रश्न- स्त्रातेजी का अर्थ तथा परिभाषा लिखिये।
  8. प्रश्न- स्त्रातेजिक गतिविधियाँ तथा चालें किसे कहते हैं तथा उनमें क्या अन्तर है?
  9. प्रश्न- महान स्त्रातेजी (Great Strategy) क्या है?
  10. प्रश्न- पैरालिसिस स्त्रातेजी पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- युद्धों के विकास पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  13. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते है? युद्ध की विशेषताएँ बताते हुए इसकी सर्वव्यापकता पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- युद्ध की चक्रक प्रक्रिया (Cycle of war) का उल्लेख कीजिए।
  15. प्रश्न- युद्ध और शान्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  16. प्रश्न- युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  17. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- राजदूतों के कर्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  19. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  20. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  21. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  22. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  23. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  25. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  26. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  27. प्रश्न- युद्ध के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- युद्धों के सिद्धान्तों में प्रशासन (Administration) का क्या महत्व है?
  29. प्रश्न- नीति के साधन के रूप में युद्ध के प्रयोग पर सविस्तार एक लेख लिखिए।
  30. प्रश्न- राष्ट्रीय नीति के साधन के रूप में युद्ध की उपयोगिता पर प्रकाश डालिये।
  31. प्रश्न- राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण में युद्ध की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- अतीत को युद्धों की तुलना में वर्तमान समय में युद्धों की संख्या में कमी का क्या कारण है? प्रकाश डालिए।
  33. प्रश्न- आधुनिक युद्ध की प्रकृति और विशेषताओं की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- आधुनिक युद्ध को परिभाषित कीजिए।
  35. प्रश्न- गुरिल्ला स्त्रातेजी पर माओत्से तुंग के सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए गुरिल्ला युद्ध के चरणों पर प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- चे ग्वेरा के गुरिल्ला युद्ध सम्बन्धी विभिन्न विचारों का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध (छापामार युद्ध) के उद्देश्यों का वर्णन कीजिए तथा गुरिल्ला विरोधी अभियान पर प्रकाश डालिए।
  38. प्रश्न- प्रति विप्लवकारी (Counter Insurgency) युद्ध के तत्वों तथा अवस्थाओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- चीन की कृषक क्रान्ति में छापामार युद्धकला की भूमिका पर अपने विचार लिखिए।
  40. प्रश्न- चे ग्वेरा ने किन तत्वों को छापामार सैन्य संक्रिया हेतु परिहार्य माना है?
  41. प्रश्न- छापामार युद्ध कर्म (Gurilla Warfare) में चे ग्वेरा के योगदान की विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध में प्रचार की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध कर्म की स्त्रातेजी और सामरिकी पर प्रकाश डालिये।
  44. प्रश्न- छापामार युद्ध को परिभाषित करते हुए इसके सम्बन्ध में चे ग्वेरा की विचारधारा का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- लेनिन की गुरिल्ला युद्ध-नीति की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- गुरिल्ला युद्ध क्या है?
  47. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  48. प्रश्न- आधुनिक युद्ध क्या है? 'आधुनिक युद्ध अन्ततः मनोवैज्ञानिक है' विस्तृत रूप से विवेचना कीजिए।
  49. प्रश्न- सैन्य मनोविज्ञान के बढ़ते प्रभाव क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध के कौन-कौन से हथियार हैं? व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- प्रचार को परिभाषित करते हुए इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- अफवाह (Rumor) क्या है? युद्ध में इसके महत्व का उल्लेख करते हुए अफवाहों को नियंत्रित करने की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- आतंक (Panic) से आप क्या समझते हैं? आंतंक पर नियंत्रण पाने की विधि का वर्णन कीजिए।
  54. प्रश्न- भय (Fear) क्या है? युद्ध के दौरान भय पर नियंत्रण रखने वाले विभिन्न उपायों का वर्णन कीजिए।
  55. प्रश्न- बुद्धि परिवर्तन (Brain Washing) क्या हैं? बुद्धि परिवर्तन की तकनीकों तथा इससे बचने के उपायों का उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- युद्धों के प्रकारों का उल्लेख करते हुए विशेष रूप से मनोवैज्ञानिक युद्ध का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- युद्ध की परिभाषा दीजिए। युद्ध के सामाजिक, राजनैतिक, सैन्य एवं मनोवैज्ञानिक कारणों की विवेचना कीजिए।
  58. प्रश्न- कूटनीतिक प्रचार (Strategic Propaganda ) एवं समस्तान्त्रिक प्रचार (Tactical Propaganda ) में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  59. प्रश्न- प्रचार एवं अफवाह में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- मनोवैज्ञानिक युद्ध की उपयोगिता बताइये।
  61. प्रश्न- युद्ध एक आर्थिक समस्या के रूप में विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- आर्थिक युद्ध की परिभाषा दीजिए। आर्थिक युद्ध कर्म पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- आधुनिक युद्ध राजनीतिक सैनिक कारणों की अपेक्षा सामाजिक आर्थिक कारकों के कारण अधिक होते हैं। व्याख्या कीजिए।
  64. प्रश्न- आर्थिक क्षमता से आप क्या समझते हैं?
  65. प्रश्न- आधुनिक युद्ध में आर्थिक व्यवस्था का महत्व बताइये।
  66. प्रश्न- युद्ध को प्रभावित करने वाले तत्वों में से प्राकृतिक संसाधन पर प्रकाश डालिए।
  67. प्रश्न- युद्ध कौशलात्मक आर्थिक क्षमताएँ व दुर्बलताएँ बताइये।
  68. प्रश्न- युद्धोपरान्त उत्पन्न विभिन्न आर्थिक समस्याओं का विश्लेषण कीजिये
  69. प्रश्न- युद्ध की आर्थिक समस्यायें लिखिए?
  70. प्रश्न- युद्ध के आर्थिक साधन क्या हैं?
  71. प्रश्न- परमाणु भयादोहन के हेनरी किसिंजर के विचारों की व्याख्या कीजिये।
  72. प्रश्न- आणविक भयादोहन पर एक निबन्ध लिखिये।
  73. प्रश्न- परमाणु भयादोहन और रक्षा के सन्दर्भ में निम्नलिखित सैन्य विचारकों के विचार लिखिए। (i) आन्द्रे ब्यूफ्रे (Andre Beaufre), (ii) वाई. हरकाबी (Y. Harkabi), (iii) लिडिल हार्ट (Liddle Hart), (iv) हेनरी किसिंजर (Henery Kissinger) |
  74. प्रश्न- परमाणु युग में सशस्त्र सेनाओं की भूमिका की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  75. प्रश्न- मैक्यावली से परमाणु युग तक के विचारों एवं प्रचलनों की विवेचना कीजिए।
  76. प्रश्न- आणविक युग में युद्ध की आधुनिक स्रातेजी को कैसे प्रयोग किया जायेगा?
  77. प्रश्न- 123 समझौते पर विस्तार से लिखिए।
  78. प्रश्न- परमाणविक युद्ध की प्रकृति एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- आणविक शीत से आप क्या समझते हैं?
  80. प्रश्न- नाभिकीय तनाव को स्पष्ट कीजिए।
  81. प्रश्न- परमाणु बम का प्रथम बार प्रयोग कब और कहाँ हुआ?
  82. प्रश्न- हेनरी किसिंजर के नाभिकीय सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (C.T.B.T) से आप क्या समझते हैं?
  84. प्रश्न- हरकावी के नाभिकीय भय निवारण- सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  85. प्रश्न- आणविक युग पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- हर्काबी के नाभिकीय युद्ध संक्रिया सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  87. प्रश्न- रासायनिक तथा जैविक अस्त्र क्या हैं? इनके प्रयोग से होने वाले प्रभावों की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- रासायनिक युद्ध किसे कहते हैं? विस्तार से उदाहरण सहित समझाइए।
  89. प्रश्न- विभिन्न प्रकार के रासायनिक हथियारों पर प्रकाश डालिए।
  90. प्रश्न- जैविक युद्ध पर एक निबन्ध लिखिए।
  91. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध कर्म से बचाव हेतु तुलनात्मक अध्ययन कीजिए।
  92. प्रश्न- रासायनिक एवं जीवाणु युद्ध को समझाइये |
  93. प्रश्न- जनसंहारक अस्त्र (WMD) क्या है?
  94. प्रश्न- रासायनिक एवं जैविक युद्ध के प्रमुख आयामों पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  95. प्रश्न- विश्व में स्थापित विभिन्न उद्योगों में रासायनिक गैसों के उपयोग एवं दुष्प्रभाव परप्रकाश डालिए।
  96. प्रश्न- प्रमुख रासायनिक हथियारों के नाम एवं प्रभाव लिखिए।

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